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एक साड़ी के लिए भी जो महिला को संघर्ष करना पड़ा,वही महिला आज साड़ियों की दुकान लगा रही. सैकड़ों साड़ियां बेच चुकी यह महिला समाज में सम्मान से जीवन जी रही. समूह की मदद से अब कई महिलाओं के साथ दूसरे लोगों को भी काम दे रही.
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